लेखनी कहानी -06-Sep-2022... रिश्तों की बदलतीं तस्वीर..(16)
रमादेवी जब वहाँ पहुंची तो उन बच्चों को देख उनके अंदर की ममता जाग गई..। रमादेवी ने उस औरत का शुक्रिया अदा करते हुवे कहा :- मैं लब्जो में आपको कैसे धन्यवाद करूँ... मेरा तो शुरू से ये ही सपना था की मैं ऐसे बच्चों के लिए कुछ कर पाऊँ...। आपने तो मेरे दिल की बात जान ली...।
माँ जी...इसमें धन्यवाद कहने की कोई जरूरत नहीं हैं...। इन बच्चों को आपकी जरूरत हैं.. और आपको इन बच्चों की...। दोनों को एक दूसरे का सहारा बनना हैं...। बस अब आप सब कुछ भूल कर अपने जीवन की नई शुरुआत किजिए.... । आपको यहाँ किसी तरह की कोई भी परेशानी हो तो आप मुझे आकर बताए..। लेकिन मैं जानती हूँ आपको कभी मेरे पास आने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी....। रहीं बात आपके बीतें कल की तो वो सब मैं संभाल लूंगी...। आप उसको लेकर बिल्कुल भी चिंता मत किजिए..। समझिये अब आपको एक नया जीवन मिला हैं... उस कैद से हमेशा के लिए आजादी मिली हैं...।
ऐसा कहकर वो औरत वहाँ से वृद्धाश्रम चलीं गई...। रमादेवी आज उन बच्चों के बीच आकर सच में बहुत सुकून महसूस कर रहीं थीं..। रमादेवी ने जल्दी ही सब बच्चों से मेल मिलाप भी कर लिया था..।
विनी और सलोनी एक होटल के बाहर पहुंचे...।
विनी..... यहाँ... तु पागल हो गई हैं क्या...! होटल में क्यूँ...!
इतनी दोपहर में और कौनसी जगह चलते मैडम...! ना इस वक्त रेस्टोरेंट खुले होते हैं ना बगीचे..। अभी ज्यादा सोच मत चल मेरे साथ..।
नहीं.. नहीं.. मैं... होटल में...। मुझे डर लग रहा हैं यार....।
हद करतीं हैं यार... रवि अंदर हमारा इंतजार कर रहा हैं... और तु यहाँ नखरे कर रहीं हैं..।
विनी... तु समझ नहीं रहीं हैं... अभी हमारी शादी तो क्या सगाई भी नहीं हुई हैं... और इन सबसे पहले ऐसे होटल में...!! ये गलत हैं...। किसी को पता चला तो.....
देख.... अभी तु ये फालतू की बातें छोड़ ओर चल भीतर... अरे मैं भी तो हूँ ना तेरे साथ... फिर तु इतना क्यूँ घबरा रहीं हैं...। अभी चलेगी या रवि को यहीं बुला लूं....!
सलोनी डरते डरते ही सही विनी के साथ भीतर चलीं गई...। होटल बहुत बड़ा था... और उनके घर से बहुत दूर भी था...। सलोनी एक तरफ तो बहुत डरी हुई थीं... लेकिन दूसरी ओर बहुत खुश भी थीं... वो पहली बार इस तरह रवि से मिलने जा रहीं थीं..। दिल में एक अजीब सी उमंग भी थीं..। कुछ दिनों में ही दोनों एक बंधन में बंधने वाले थे..। ऐसे में एक लड़की के दिल में अपने जीवनसाथी को लेकर बहुत सी बातें घुमती रहतीं हैं...। आज सलोनी के साथ भी ऐसी ही हलचल हो रहीं थीं...।
अपने जज्बातों और डर को संभालते संभालते वो दोनों होटल के चौथी मंजिल पर बने रुम नंबर 201 के बाहर पहुंची...। विनी ने रिंग बजाई..।
रवि जो पहले से ही वहाँ मौजूद था... उसने दरवाजा खोला और दोनों को भीतर बुला लिया...।
क्या सलोनी के लिए ये पल सच में यादगार बनने वाले थे...।
जानते हैं अगले भाग में..।
Mithi . S
24-Sep-2022 06:18 AM
Achhi rachana
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आँचल सोनी 'हिया'
24-Sep-2022 12:50 AM
Bahut khoob 🙏🌺
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Sushi saxena
23-Sep-2022 10:40 AM
Behtarin rachana
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